मैं भी रहने लगा गम से गाफिल बहुत

मैं भी रहने लगा गम से गाफिल बहुत

मैं भी रहने लगा गम से गाफिल बहुत
रात दिन अब तड़पने लगा है दिल बहुत

यूँ हुई रोज पत्थर की बारिश यहाँ
सब के सब सर मिले हमको घायल बहुत

मौज मस्ती में हरदम जो खोए रहे
वो गमे जिंदगी से थे गाफिल बहुत

बाद में डस गई उनको तनहाइयाँ
जो सजाते रहे अपनी महफिल बहुत

तुम सफर में चले हो तो चलते रहो
दूर अब भी है ‘अख्तर’ की मंजिल बहुत।


Image: African
Image Source: WikiArt
Artist: Konstantin Makovsky
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नसीम अख्तर द्वारा भी