मेरे आँसू में रंजित है

मेरे आँसू में रंजित है

मेरे आँसू में रंजित है
रजत रश्मिमय हास सुनहला
यह जो धुँधला-धुँधला-सा तम
यह जो बुझती हुई विभा-सी,
यह जो घेरे है छायापथ
को संध्या की मौन उदासी,
यह तो उष:काल-अरुणोदय
का सुमधुर संस्मरण लिए है–
मेरे अवसादों में अंकित
है अंतर-उल्लास सुनहला!
मेरे आँसू में रंजित है
रजत रश्मिमय हास सुनहला!

राशि-राशि बिखरे ये तृण-कण
आच्छादित जिनसे सब उपवन,
पीत-वण, श्री से विहीन,
जर्जर-अंतर, मृत, गत-आकर्षण,
रोमांचित थे ये भी सुन कर
मलय पलन का मर्मर नि:स्वन–
मेरे पतझड़ में मुखरित है
मधुऋतु का इतिहास सुनहला!
मेरे आँसू में रंजित है
रजत रश्मिमय हास सुनहला!

यह खँडहर जो खड़ा सामने
कहता-सा कुछ मर्म-कहानी,
गुंजित है इसके कण-कण में
विगत विनष्ट विभव की वाणी
उठता-सा इसकी आकृति में
एक भव्य प्रासाद-शिखर-सा–
मेरी पीड़ा में कुसुमित है
स्वप्नों का आभास सुनहला!
मेरे आँसू में रंजित है
रजत रश्मिमय हास सुनहला!

मिलन-यामिनी आज बन गई
विपुल विरह की अमा निशा है,
विहग हर्ष का भ्रमित-चकित-सा
पा न रहा गंतव्य दिशा है,
दीप बुझ गया आनंदोत्सव का
मंदिर में घन तम छाया–
मेरे स्मृति-दर्पण में बिंबित
है गत सुख-आकाश सुनहला!
मेरे आँसू में रंजित है
रजत रश्मिमय हास सुनहला!

तूने पीड़ा पहचानी है
पृष्ठभूमि में प्यार न देखा,
तूने हाहाकार सुना है,
प्रणय-मुग्ध अभिसार न देखा,
मेरे ये विषाद के क्षण हैं
अतुल स्नेह संस्मृतियों के घर–
मेरे उच्छ्वासों में स्पंदित
कोई सुरभित श्वास सुनहला!
मेरे आँसू में रंजित है
रजत रश्मिमय हास सुनहला!


Image: Despair
Image Source: WikiArt
Artist: Edvard Munch
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