अनाज फटकती हुई औरतें
- 1 October, 2021
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- 1 October, 2021
अनाज फटकती हुई औरतें
(एक)
इच्छाएँ पूरी होने के दिन होते हैं
अनाज फटके जाने के दिन
औरतें बाकायदा गीत गा रही होती हैं
आपस में सपने बतिया रही होती हैं
इस बतियाने में कुछ प्रेम की बातें होती हैं
कुछ पतियों से जुदाई की बातें होती हैं
प्रतीक्षा भी कम नहीं होती अतिथियों के आने की
मिट्टी से निकलने वाली गेहूँ-गंध पर
बहस चलती है तो लंबी चलती है उनके बीच
संभव है, आपके आसपास औरतें यही कर रही हों
परंतु आप अपना आह्लाद छुपा लेते हों यह सोचकर
कि अनाज फटक रही औरतें खेत क्यों हो जाती हैं
अन्नपूर्णा क्यों हो जाती हैं मेघ के लौट आने वाले दिनों में
(दो)
अनाज उपजने वाले मौसम कठिन समय को
दूर धकेल ले जाते हैं औरतों के नहाने वाले कुंड से
बैल कितना थक जाते हैं खेतों को जोतकर
जिस तरह महान सभ्यताएँ थकती रही हैं
अपनी महानता के नकली किस्से सुन-सुनकर
अनाज चुन-फटक रही औरतें मगर कहाँ थकती हैं
अपनी देह के अश्वेत रंग-संयोजन से कभी
(तीन)
औरतों की हँसी से कौन-सी हँसी सुंदर होती होगी इस हरे मैदान में
अनाज फटके जाने वाली घड़ी से कौन-सी घड़ी अच्छी होती होगी
सयानी होती लड़कियों की कुलांचे से अच्छी कौन-सी चौकड़ी होगी
जो औरतें अनाज फटकती हैं या जो लड़कियाँ कुलांचे भरती हैं
वो अपने सीने में अलाव को समेटती रहती हैं ऐसा करते हुए
तभी दुनिया की सारी स्त्रियाँ क्रांतिकारी होती आई हैं मेरी कविता में।
(चार)
मैंने उन औरतों का हमेशा इंतज़ार किया जिन्हें आप कोसते रहते हैं
मैंने उन सभ्यताओं का इंतज़ार किया जिन्हें औरतों ने सज्जित किया
नाइअपनी पीड़ा से अपने दरिया से अपनी कश्ती से अपने जूड़े के फूल से
मैंने उन दिनों का इंतजार किया जिन दिनों हाट-बाजार सजते हैं
और औरतें कहती हैं मुझी से आकर कि आज जो भी लाया सब बिका
मैंने जिन खेतों में काम करने वाली लड़की से प्रेम किया
उसी का इंतजार किया बैंगनी फूल देने वाले पेड़ के पास
जो काम करके थकती है लेकिन प्रेम पाकर ताजा हो जाती है।
(पाँच)
आज भोर से ही औरतें सज रही थीं
मन में पिछले अनाज-पर्व को याद करते
आज औरतें हर मुसाफिर को शर्बत पिला रही थीं
आज औरतें कुत्तों के विलाप से डर नहीं रही थीं
बल्कि यक्षिणी लग रही थीं सीधे आकाश से नीचे आईं
मैंने भी आज अमरत्व की इच्छा न करके
उन स्त्रियों का जाप किया जिन्होंने मुझे जिलाए रखा
अपने गीतों में सरसों की महक लिए इतने साल।
Image: Farmers at work (Risaiole)
Image Source: WikiArt
Artist: Umberto Boccioni
Image in Public Domain