पुजारी !

पुजारी !

ओ पाषाण के पुजारी! तुम्हारा देवता पत्थर है।
चिर-काल से तुम पत्थर को देवता मानकर
पूजते आ रहे हो और मानव तुम्हारा देवता
पत्थर है। किंतु, ओ मानव पुजारी! कहीं
अपनी पूजा-भावना के मद में, किसी तन-
धारी जीव को देवता न बना बैठना, नहीं
तो, तुम्हारी पूजा के वरदान-मय अभिशाप से,
देवत्व पाकर वह भी पाषाण हो जाएगा!


Original Image: Temples-and-bathing-ghat-at-Benares
Image Source: WikiArt
Artist: Edwin Lord Weeks
Image in Public Domain
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विद्या द्वारा भी