रोकर दिल बहला लेने दो।
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on reddit
Share on tumblr
Share on linkedin
शेयर करे close
Share on facebook
Share on twitter
Share on tumblr
Share on linkedin
Share on whatsapp
https://nayidhara.in/kavya-dhara/rokar-dil-bahala-lene-do/
- 1 February, 1952
रोकर दिल बहला लेने दो।
रोकर दिल बहला लेने दो।
दिल-दरिया में तूफानों का
ज्वार उठा बढ़ता जाता है,
फेन-फेन जीवन का शीतल
ज्वर ऊपर चढ़ता जाता है;
धूल-भरे अपने नयनों के,
कूलों को सहला लेने दो।
फेनिल जल से ऊपर यह जो
भाप बने उड़ते जाते हैं,
मेरे ही उच्छ्वास गगन में
घन बन कर जुड़ते जाते हैं;
उच्छ्वासों से ही प्रिय को
टुक संदेशा कहला लेने दो।
चमचम-सी शबनम की बूँदें
सजा रहीं जो तरल आरती
मेरे प्रिय के अभिनंदन में
मेरी ही यह सजल-भारती
मेरी ममता को घुल-घुल कर
भूतल को नहला लेने दो।
Image: Stormy Sea
Image Source: WikiArt
Artist: Marcus Larson
Image in Public Domain