सुधि और शैला : : एक प्रतिक्रियात्मक गीत
- 1 May, 1964
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- 1 May, 1964
सुधि और शैला : : एक प्रतिक्रियात्मक गीत
शंकाओं के बादल तेरे–
घिर आये हैं मेरे मन में!
क्या बात हुई, देरी इतनी!
तुम मेरे पास नहीं आये;
वही मिलन-वेला आयी
मेरे विश्वास नहीं आये!
बेचैनी के मौसम तेरे–
हैं बरस गये मेरे मन में!!
कैसे कह दूँ प्यार हृदय का
किससे किसका क्या नाता है;
जब-जब तुम पास नहीं आये–
मेरे दिल पर क्या आता है!
आकुलता के आँसू तेरे–
अंकित हैं मेरे आनन में!!
पास नहीं हों हम-तुम फिर भी
पास रहे सुधियों की सावन;
श्रद्धामयी हो प्रीत हमारी–
मधुमय हो यह जीवन-आँगन!
रूप मधुर तेरे जीवन के–
घिर आये मेरे जीवन में!!
Image: Nayika-Awaits-Her-Lover-page-from-a-series-illustrating-the-Rasikapriya-of-Keshavadasa-Ibrahim-
Image Source: Wikimedia Commons
Image in Public Domain