हे दर्पण

हे दर्पण

(मूल कन्नड़ से हिंदी अनुवाद : टी.जी. प्रभाशंकर प्रेमी)

हे दर्पण! आँखें हैं क्या तुम्हें भी?
या! दर्पण की है क्या मेरी आँखें?
तुम देख रहे हो न मुझे?
या मैं देख रहा हूँ क्या तुम्हें?
मैं तुम्हारा बिंब हूँ? या छाया?
या तुम मेरा बिंब हो? या छाया?
मेरे बिना तुम नहीं हो, है न!
या तुम्हारे बिना मैं नहीं हूँ, है न!
हो सकता है दोनों हो अलग-अलग
फिर भी! अंतर प्रवेशित पेड़ का
मूल एक ही/दोनों के बीच में काँच
टूटे तो, हम दोनों एक ही,
द्वैत मिटकर/द्वैत के मिटने पर
एक हो सकते हैं क्या?
या! कहते अकेले हो जाते,
क्या यह सच है?
गल जाय तो एक दूजे में
बचेंगे क्या? काँच में या यादों में?
अब तक की बात!
तुम कहो! संवाद है या स्वगत?


Image name: Self-Portrait in the Mirror
Image Source: WikiArt
Artist: Konstantin Somov
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