पाँव
- 3 January, 2015
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- 3 January, 2015
पाँव
चलना उनकी भाषा है
बैठना उनकी चुप्पी
तुम्हें पता भी नहीं चलता
जब तुम घर से बाहर रखते हो पाँव
कोई बाँग्ला पाँव पूछता है
तुम्हारे हिंदी पाँव से-
‘आपनि कोथाय जाबेन’
एक शिशु पाँव
जिस दिन पहली बार पृथ्वी का
करता है स्पर्श
वह गूँजता है देर तक पूरे भूमंडल में
भूमंडलीकरण
चलते हुए पाँवों की
आदिम सृष्टि है
चीन के एक म्यूजियम में
मैंने सदियों पुराना एक पाँव देखा था
जो न जाने कितने सौ वर्षों से
चल रहा था पड़े-पड़े
कभी चलते हुए अचानक
अगर तेज-तेज चलने लगें तुम्हारे पाँव
समझना उन्होंने सुन ली है
किन्हीं जंजीरों की झन्-झन्…
कभी पढ़ना ध्यान से
रास्ते वे पंक्तियाँ हैं
जिन्हें लिखकर
भूल गए हैं पाँव
Image: Study for the Apotheosis of Homer, Homer’s feet
Image Source: Wikimedia Commons
Artist: Jean Auguste Dominique Ingres
Image in Public Domain