‘नई धारा’ हिंदी की एक द्विमासिक साहित्यिक पत्रिका है, जिसका प्रकाशन अप्रैल 1950 से निरंतर होता आ रहा है।

हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता के शीर्ष पर विराजित ‘नई धारा’ का प्रकाशन अप्रैल 1950 से आरंभ हुआ। इसका लोकार्पण बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. श्रीकृष्ण सिंह ने किया था। भारतीय साहित्य की विरासत को संजोती हुई विगत तिहत्तर वर्षों से ‘नई धारा’ का अनवरत प्रकाशन हो रहा है। ‘नई धारा’ देश की साहित्यिक साधना और हिंदी साहित्य को समृद्ध करती चली आ रही है। ‘नई धारा’ ने न केवल उन्नत साहित्य सृजन में उल्लेखनीय योगदान दिया है अपितु नवोदित साहित्यकारों को भी प्रकाश में लाकर साहित्य के भंडार को भरने का काम किया है।

हिंदी के सभी प्रसिद्ध लेखकों की यह मनपसंद पत्रिका मानी जाती थी, जिसकी पत्रकारिता हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता के समानांतर अब तक चली आ रही है।

73

वर्षों से चली आ रही 

10,000+

कुल रचनाएँ प्रकाशित

3,000+

लेखकों का सान्निध्य

about

नई धारा के प्रेरणा श्रोत

Raja Radharaman

राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह

हिंदी के शैली सम्राट राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह का जन्म 10 सितंबर, 1890 को सूर्यपुरा के जमींदार राजा राजराजेश्वरी प्रसाद सिंह ‘प्यारे’ के सुपुत्र रूप में हुआ। वे हिंदी के प्रथम कहानीकार माने जाते हैं। उन्होंने ‘राम-रहीम’, ‘पूरब और पश्चिम’ जैसे कालजयी उपन्यासों की रचना की।

आचार्य शिवपूजन सहाय

हिंदी साहित्य के भूषण आचार्य शिवपूजन सहाय का जन्म 9 अगस्त, 1893 को बिहार के उनवास ग्राम में हुआ। वे हिंदी साहित्य में एक कथाकार और संपादक के रूप में प्रसिद्ध हुए। उन्हें सन् 1960 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया। ‘नई धारा’ के प्रकाशनारंभ में इनकी भी प्रमुख प्रेरणा रही।

ramvriksh benipuri

रामवृक्ष बेनीपुरी

हिंदी साहित्य में शैली के जादूगर रामवृक्ष बेनीपुरी अपने विशिष्ट रेखाचित्रों के लिए जाने जाते हैं। इनका जन्म 23 दिसंबर, 1899 को मुजफ्फरपुर के बेनीपुर गाँव में हुआ। इन्होंने गद्य में विपुल साहित्‍य की रचना की। ‘नई धारा’ का प्रकाशन इन्हीं के प्रधान संपादकत्व में आरंभ हुआ।

Udayraj Singh

उदयराज सिंह

उदयराज सिंह का जन्म सूर्यपुरा (रोहतास) राजवंश में 5 नवंबर, 1921 को हुआ। वे छात्र जीवन से ही साहित्य लेखन की ओर प्रवृत हुए। कहानी, उपन्यास, संस्मरण, रेखाचित्र आदि उनकी दर्जनाधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। वे ‘नई धारा’ के संस्थापक संपादक रहे।

shivnarayan
Shivnarayan Singh

संपादक के कुछ शब्द

‘नई धारा’ अपने समय और विरासत से संवाद का एक साहित्यिक दस्तावेज़ है। शब्द संस्कृति के इस प्रवाह में हिंदी के साथ ही अन्य भाषाओं की उत्कृष्ठ रचनाओं का भी योगदान रहा है। वस्तुत: इस पत्रिका द्वारा सामासिक संस्कृति के साहित्य को गौरव प्रदान किया जाता रहा, जो विश्व बंधुत्व की भावना को मजबूत बनाए।

डॉ. शिवनारायण

वेबसाइट के बारे में

नई धारा वेबसाइट हिंदी भाषा और साहित्य की परपंरा को आगे बढ़ाने का एक डिजिटल माध्यम है। अब आप ‘नई धारा पत्रिका’ की सात दशकों की धरोहर को एक नए व आकर्षक कलेवर में जब चाहें, जहाँ चाहें पढ़ सकते हैं। हमारी वेबसाइट पर कहानियों, कविताओं और लेखों के साथ ही आपके पसंदीदा लेखकों व कवियों के ऑडियो व वीडियो भी उपलब्ध हैं। वीडियो साक्षात्कार, पॉडकास्ट एवं विविध आकर्षक कार्यक्रमों के माध्यम से नई धारा वेबसाइट हिंदी साहित्य को एक क्लिक पर आपके लिए उपलब्ध कराती है। हम आशा करते हैं कि हमारी वेबसाइट  www.nayidhara.in हिंदी साहित्य को पढ़ने और जानने की आपकी क्षुधा को तृप्त करेगी।

यहाँ आप पाएंगे:

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