श्रद्धा-निवेदन

श्रद्धा-निवेदन

हिंदी-साहित्य की ‘सरस्वती’ की प्राण-प्रतिष्ठा के प्रथम पुरोहित, हिंदी-संपादन-कला के मूल सूत्र-संचालक, खड़ी बोली के रूप-स्वरूप के परिष्कारक, द्विवेदी-युग की संज्ञा से अभिहित हिंदी भाषा और साहित्य के स्वर्णयुग के प्रवर्तक प्रातस्मरणीय स्वर्गीय आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की जन्मशती के इस शुभ अवसर पर हम अपनी आंतरिक श्रद्धा उस महामनीषी की पुनीत स्मृति को निवेदित करते हैं।

आज हिंदी-जगत में ऐसे कितने सर्वमान्य चोटी के साहित्यकार हैं जो उस आचार्य की लेखनी के सहारे ही उगे, पनपे और फूले-फले। हिंदी-साहित्य के पुजारियों की एक पूरी पीढ़ी उनकी साहित्यिक साधना और तपश्चर्या की देन रही और ‘सरस्वती’ के माध्यम से उनकी सक्षम संपादन-कला ने उस सुदृढ़ नींव की प्रतिष्ठा पाई जिस पर आज हमारी हिंदी का विशाल मंदिर गौरवान्वित और गर्वोन्नत होकर खड़ा है। उनकी भगीरथ साधना, प्रबल प्रेरणा, अखंड निष्ठा और अटूट आस्था ने साहित्य से अधिक साहित्यकारों की सृष्टि की और उनकी लेखनी को तेज और ओज से परिपूर्ण किया।

उस अखंड ज्योति-पुंज के प्रकाश की प्रशंसा हम क्या करें जो उसके एक स्फुलिग से ही प्राणवान की संज्ञा पा सके हैं?

अपने उस महान आदि-आचार्य की आस्था के अनुरूप होने की ओर हम अग्रसर हो सकें तो इस शती-समारोह के अवसर पर हमारी यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।


Image: Bouquet of Flowers
Image Source: WikiArt
Artist: Ivan Kramskoy
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