प्रेमचंद और दलित विमर्श
Blossoming Almond Branch in a Glass with a Book by Vincent van Gogh- WikiArt

प्रेमचंद और दलित विमर्श

करीब साढ़े तीन दशक के अपने लेखन में प्रेमचंद ने विपुल साहित्य रचा। उनके लेखन के दो पक्ष हैं–सृजनात्मक और चिंतनपरक। इसके अतिरिक्त उन्होंने अनातोले फ्रांस, गाल्सवर्दी, अलेक्जेंडर कुप्रिन की भी कुछ कृतियों के अनुवाद किए। ‘प्रेमचंद विविध प्रसंग’ के तीन खंडों में उनकी टिप्पणियाँ और समीक्षाएँ उनके विचारों को समझने में सहायक हैं।

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 गँवई मन का सहज कवि
Still Life - French Novels and Rose by Vincent van Gogh- WikiArt

गँवई मन का सहज कवि

एक रचनाकार को जानने व समझने का सबसे सशक्त माध्यम बनती है, उसकी रचना। एक पाठक के रूप में जब हम किसी रचना से जुड़ने का प्रयास करते हैं तो…

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 एक अन्वेषी कवि की काव्य दृष्टि – ‘अज्ञेय’
Flowers and Japanese book by Paul Gauguin- WikiArt

एक अन्वेषी कवि की काव्य दृष्टि – ‘अज्ञेय’

अज्ञेय जी से केवल एक बार भेंट हुई थी। चालीस वर्ष पूर्व जब वे इंदौर आए थे। निरंजन जमींदार के आवास पर। एयरपोर्ट से (उन दिनों गिनती की ही फ्लाइट…

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 ऐसा भी होता है
Paan60- Wikimedia Commons

ऐसा भी होता है

बात थोड़ी पुरानी है। जनवरी 1983 की सात तारीख। नाथनगर (भागलपुर) के नूरपुर मुहल्ले में रहकर मैं एम.ए. की पढ़ाई कर रहा था। परीक्षा हो चुकी थी, परीक्षाफल का इन्तज़ार…

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 अम्बेदकर और दलित हिंदी कविता
बेडकर और दलित हिंदी कविता Dr._Babasaheb_Ambedkar_and_his_signature- Wikimedia Commons

अम्बेदकर और दलित हिंदी कविता

‘स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कविता और नए रचनात्मक सरोकार’ पर विचार करती हूँ तो सबसे पहले यह सवाल खड़ा होता है कि स्वातांत्र्योत्तर हिंदी कविता के नए रचनात्मक सरोकार क्या रहे हैं?…

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शोषितों की आवाज सिद्धलिंगय्या

कर्नाटक के दलित साहित्य के प्रमुख हस्ताक्षर कवि, नाटककार, निबंधकार ही नहीं, डॉ. सिद्धलिंगय्या कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य, कन्नड़ प्राधिकार और कन्नड़ पुस्तक प्राधिकार के अध्यक्ष होते हुए भी स्वभाव से कोमल, मृदुभाषी, चिंतनशील व्यक्तित्व के धनी थे।

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