
महात्मा गाँधी का बनारस भाषण
गाँधी जी बेसेंट की इस धारणा से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते थे। वे इसकी वजह मानते थे, परस्पर अविश्वास। ब्रिटिश सत्ता और भारतवासी एक-दूसरे के प्रति विश्वास के जोड़ से नहीं बँधे थे।
गाँधी जी बेसेंट की इस धारणा से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते थे। वे इसकी वजह मानते थे, परस्पर अविश्वास। ब्रिटिश सत्ता और भारतवासी एक-दूसरे के प्रति विश्वास के जोड़ से नहीं बँधे थे।
अम्मा मुझे अबूझ पहेली लगतीं। हमलोग दिनभर भारी श्रीनाथ को गोद में टाँगे फिरते हैं। मैदान में खेलते कम इसकी चौकसी अधिक करते हैं कि कंकड़-पत्थर बीन कर न खा ले। लेकिन आम्मा आरोप लगाती हैं। अम्मा का असमंजस अब समझ में आता है।
‘दिनमान’ साप्ताहिक में यह रिपोर्ताज धारावाहिक रूप में लोगों के बीच आता है। रेणु की यह अद्भुत कृति गवाह है पटना की बाढ़ और दक्षिण बिहार के सुखाड़ का, वहीं दूसरी ओर सत्ता में बैठे लोगों की मनःस्थिति और उनके काले करतूत का भी। वे मनुष्य बने रहने पर बल देते हैं। वर्तमान में जिस प्रकार से गाँव और शहर के बीच एक अंतर दिख रहा है उस ओर भी रेणु की यह रचना संकेत करती है।
गणेश, गधा और मध्य प्रदेश अंत तक एक सामान्य वैश्विक प्रवृत्ति के द्योतक बन जाते हैं। गधा से मंदबुद्धि वालों की ओर तथा गणेश से बुद्धिमानों की ओर संकेत है।
वास्तव में जिस नामवर सिंह की आलोचना का लोहा माना जाता है, उसकी निर्मिति के पीछे एक आलोचक के रूप में उनका आत्म-संघर्ष है। ‘कविता के नए प्रतिमान’ के प्रथम संस्करण की भूमिका में वे लिखते हैं–‘कविता के नए प्रतिमान आलोचना के उस सहयोगी प्रयास का अंग है,
प्रभु के मृत्युलोक भ्रमण का आँखों देखा हाल सुनाया फिर बोले–‘आज मनुष्य वाकई जानवर से भी बदतर हो चुका है,