यह शहर कितना छोटा है मानचित्र पर
यहाँ आरा मशीन चलती है तो लकड़ी के चीरने की आवाज़ इसके-उसके कानों तक पहुँचती रहती है निरंतर जिस तरह रेलगाड़ी के गुजरने की आवाज़
यहाँ आरा मशीन चलती है तो लकड़ी के चीरने की आवाज़ इसके-उसके कानों तक पहुँचती रहती है निरंतर जिस तरह रेलगाड़ी के गुजरने की आवाज़
सबने सामूहिक गान किया खाई कसमें सबने कुछ कवि के पैर पड़े थे जहाँ-तहाँ वहाँ शुद्धता बची थी
मेरे संगीतज्ञ ने एक रोज मुझे बताया धूप है तो बारिश है बारिश है तो धूप है
गरहे में पानी खेतों की जोत दिखाई दे वहाँ बात करती हँसती हुईं झुंड में लड़कियाँ और लड़के लगा रहे हों कहकहे
जीस्त में कुछ कर गुजरने के लिए आश्नाई खुद से भी दरकार हैदर्द, गम, हसरत, मसर्रत से भरा दिल हमारा दिल नहीं बाजार है
नाव क्यों उसके हाथों सौंपी थी नाखुदा तो खुदा नहीं होतातप नहीं सकता दु:ख की आँच में जो खुद से वो आश्ना नहीं होता