प्रगति
प्रगति Murnau view with railway and castle by Wassily Kandinsky- WikiArt

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ट्रेनें चला करती थीं देरी से लाइनें होती थीं सिंगल जब तक एक गाड़ी दूसरे स्टेशन पर पहुँच न जाती

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दो विपरीत दिशाओं में

एक समय की बात है दुख और व्याकरण की लड़ाई में दुख ने व्याकरण से कहा, ‘मेरा कोई व्याकरण नहीं होता।’

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