किस क़दर मुस्कुराने लगे हैं
आपने सर उठाया नहीं तो आप पर क्यों निशाने लगे हैंमुझको रखते थे जो ठोकरों में वो गले अब लगाने लगे हैं
आपने सर उठाया नहीं तो आप पर क्यों निशाने लगे हैंमुझको रखते थे जो ठोकरों में वो गले अब लगाने लगे हैं
मन की बात बताने में दोनों को हकलाहट हैउसका भी जी ऊब गया मुझको भी उकताहट है
किसी ने बनाए फलक, चाँद तारे किसी ने हमें ये नज़ारा दिया हैमुझे याद है अब भी भुला नहीं हूँ जो है पास मेरे तुम्हारा दिया है
सुनना लाज़िम है कारों के हॉर्न राह चलते खुले कान रखनातुमसे लेंगे सबक आदमी सब उम्र भर खुद को इनसान रखना
कमाने का वसीला है न खाने का कोई साधन परेशाँ आज कल हर आदमी है तो ग़लत क्या हैजहाँ रौशन दिये थे हमने फूकों से बुझाया है वहाँ पर आज फैली तीरगी है तो ग़लत क्या है
जो बदल दे आप अपना पाट, अपना द्वार यह संबंध क्या वैसी नदी है? और फिर इन बादलों की तरह नित घिरना, बरसना और छँट जाना क्या नहीं आकाश की यह त्रासदी है?