अनारो

यों तो नीलकंठ बाबू अपने गाँव की पूरी परिसंपत्ति बेचकर पक्के शहरी हो गये थे, पर गाँव के प्रति उनके मोहग्रस्त भावसूत्र टूटे नहीं थे। हम रोज प्रातःभ्रमण के बहाने…

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संबंध के पीछे

मंत्र की बात करने वाली औरत ने एक लंबी साँस खींची और होंठों में ‘ओम् नमः शिवाय’ का पाठ आरंभ कर दिया। मरीज के दायें-बायें लोहे के दो स्टैंड खड़े थे। एक पर खून की बोलत उलटी करके टंगी थी और कांच की नली से बूँद-बूँद करके रक्त एक बार रबर की नली में गिर रहा था। दूसरी ओर से इसी प्रकर ग्लूकोज की बूँदें गिर रही थीं। मरीज की आँखें टंग गई थीं और नाक में ऑक्सीजन की नली होने के बावजूद कठिनाई से सांसें खिंच रही थी।

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ममता की डोर

स्त्री अपने पति का प्रतिकार कर रही थी, वह सहमी-सी अपने पति के पीछे-पीछे अपने घर की तरफ खिंची चली जा रही थी...जाने ममता की कैसी डोर थी यह!

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इलाज

डाॅक्टर शोभा की जाँच-पड़ताल करने लगे। कई तरह के टेस्ट आदि भी करवाए गये, परंतु डाॅक्टर की गंभीर मुद्रा को देखकर शोभा की माँ ने पूछा- ‘डाॅक्टर साहब, मेरी बेटी ठीक तो हो जाएगी न?

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