गिव अप करने के लिए

गिव अप करने के लिए

चहुँ ओर गिव अप की बहार छाई है। देखो, कोयल सरकार का अनुरोध मानकर अपनी कूक को पूरी तरह गिव अप कर कौए की भाषा में काँव-काँव कर रही है। बिल्लियाँ दूध को गिव अप कर चाय का सेवन कर रही हैं। मुर्गों ने बाँग देना गिव अप कर दिया है। कुत्तों ने भौंकना गिव अप कर दिया। सारा माहौल गिव अप मय हो गया है। यह दिन पहले कहाँ था, यह समय पहले कहाँ थे। देखो, सब ओर गिव अप ही गिव अप हैं चहुँ ओर गिव अप की बहार है।

देखो, कोई अपनी बाइक को गिव अप कर नई कार खरीद रहा है, तो कोई पुरानी कार को ही गिव अप के अंदाज में गुड बाई कहते हुए नई कार खरीद रहा है। सज्जनों और सज्जनियों का समूह प्रति पग कुछ न कुछ गिव अप करने की दिशा में चलायमान हैं। देखो, हमारे शर्मा जी ने गैस सिलिंडर पर मिलने वाली सब्सिडी को प्रेमपूर्वक गिव अप कर दिया है। उतनी ही सज्जनता के साथ सिन्हा साहब ने अपनी बाईस साल पुरानी श्रीमती जी को गिव अप कर दिया है। सभी किसी न किसी प्रकार कुछ न कुछ गिव अप करने की फिराक में हैं। देखो, तुम्हारी भूतपूर्व प्रेयसी ने पुराने हेयर स्टाइल को गिव अप कर दिया है। सुधीजन निज भाषा की कविता को गिव अप कर आंग्ल भाषा नहीं जानते हुए भी भीमकाय साइज के अँग्रेजी उपन्यास बाँच रहे हैं। देखो, सूरज न बदलता चाँद न बदला, न बदला ये आसमान। कितना बदिल गया इनसान। गिव अप की आँधी ऐसी ही चली है। कहो, तुम क्या गिव अप करोगे?

जैसे कानों में अमृत वर्षा हो रही हों। जैसे मन में जलतरंग और गिटार की आवाजें एक साथ गूँज रही हों। जैसे जेम्स बॉन्ड ने धरती के सारे अपराधियों का ठिकाना बता दिया हो। जैसे आमों की सुगंध को सूँघकर कोई फारेनर सुंदरी अमराई में घूमते-घूमते आँगन में सहसा प्रवेश कर गई हो। जैसे सूखे तालाब में बाढ़ आ गई हो। जैसे पुराने बाँस में एकाएक कोपलें निकल आई हों। जैसे मुरझाए पौधे पर पानी बरस गया हो। वैसे ही चिंतक जी ने गिव अप कला में व्यस्त जनसमूह को अनेकविध गिव अप करता देखकर कुछ न कुछ गिव अप करने का प्रण लिया।

उन्होंने देखा कि पैसाश्रयी संप्रदाय के जीव-जंतुओं के बीच गिव अप करने की सघन प्रतियोगिता चल रही है। करोड़ों रुपये आयकर विभाग को समर्पित करने वाले महानुभाव उदारतापूर्वक हजार-पाँच सौ रुपये गिव कर देश को धन्य कर रहे हैं। बड़े-बड़े फिल्मी कलाकार, महाधनी क्रिकेट खिलाड़ी, कॉरपोरेट दुनिया के महापुरुषों और महास्त्रियों ने भी गिव अप की आदत अपना ली है। कोई अपने सेवक-सेविकाओं की अपार संख्या में कटौती के जरिये गिव अप कर रहा है और इस तरह हटाए गए सेवक-सेविकाओं को नौकरी गिव अप करने को सुंदर रास्ता दिखा रहा है। कोई अपने लंबे बालों को गिव अप कर रहा है। कोई अपनी सजी-सजाई दाढ़ी गिव अप कर रहा है। कोई सन्नारी अपने वस्त्रों को अधिक से अधिक गिव अप करने की कोशिश में जुटी है। सब ओर गिव अप की ऐसी धूम देखकर परपुंगव चिंतक जी के लिए बेहद जरूरी हो गया कि वे भी गिव अप करें। क्या गिव अप करें, इस राष्ट्रीय सवाल से जूझते हुए महामना चिंतक जी चिंता के महासागर में डूबने-उतराने लगे।

ठीक इसी समय वातावरण में कई किस्म की नई हलचलें हुईं। गधे पंचम स्वर में चिल्लाने लगे। पेड़ों से पत्ते झड़ने लगे। मच्छरों का समूह संगीत सुनाने लगा। ऐसे में चिंतक जी ने देखा कि उनके चरण कमलों के समीप कोई सहसा आकर समर्पित हो गया है। जैसे झुंड से अलग हुआ हाथी अपने जंगल को याद करता है, वैसे ही कई दिनों के बाद उपचिंतक सीन पर हाजिर थे। जैसे अपने स्वामी को देखते ही कुत्ता पूँछ हिलाने लगता है, वैसे ही चिंतक जी के दर्शन पाकर उपचिंतक महाशय की आँखों से आँसुओं की कई धाराएँ प्रवाहित हो रही थीं। जैसे बंदर दर्पण में अपना ही चेहरा देखकर उसे बंदरिया समझ छेड़ने के लिए बेकरार हो, वैसे ही चिंतक जी ने भूपतित उपचिंतक को उठाकर गले से लगाया। ऐसी वत्सल भावना देखकर उपचिंतक गदगद् हो गए। बोले–‘हे कृपा सिंधु, इस धरती पर विचरण करने वाले तमाम प्राणियों के बीच आप ही चिंतन के हिमालय हैं, आप ही प्रशांत सागर हैं। आपका चिंतन तिल में छिपे तेल जैसा है, दूध में छिपे बटर जैसा, पत्तों में छिपे फल जैसा है। लेकिन प्रभु, आज आपका मुखमंडल कुछ चिंतातुर लगता है। भला क्यों चिंतित लग रहे हैं आप?’

स्तुतिगान सुनकर चिंतक जी प्रसन्न हो गए–‘सच ही कहा तुमने। मैं बहुत-बहुत चिंतित हूँ।’

इस पर उपचिंतक ने चोंच खोली–‘आप तो मेरे जैसे अज्ञानियों की चिंताएँ दूर करते हैं फिर आपकी चिंता का कारण क्या है?’

चिंतक जी ने फरमाया –‘इन दिनों सब ओर गिव अप करने वाले एवार्डेड हो रहे हैं। क्या गिव अप किया जाए, यही हमारी समस्या है।’

यह सुनकर उपचिंतक ने सज्जनता से कहा–‘आपके लिए भला क्या असंभव है प्रभु। कुछ भी गिव कर कर दें। चाय गिव अप कर दें, समोसा गिव अप कर दें। जलेबी गिव अप कर दें, खिचड़ी गिव अप कर दें। तमाम चीजें हैं गिव अप करने के लिए, कुछ भी गिव अप कर दें। आप गिव अप तो करें।’

लेकिन चिंतक जी चाहते थे कि गिव अप कला के क्षेत्र में उनका प्रयास किसी की नकल न लगे। आम और खास किस्म की जनता गिव अप के जैसे उदाहरण पेश कर रही है, वैसा ही चिंतक जी ने किया तो मौलिक और टटका क्या हुआ? सिर के बाल गिव अप करने वालों और मूँछे गिव अप करने वालों के साथ ही साड़ी पहनना गिव अप करने वालियों और मेकअप के पुराने संसाधनों को गिव अप करने वालों की इस क्षणभंगुर समाज में कोई कमी नहीं है। गिव अप की दिशा में नित नए प्रयोग हो रहे हैं, ऐसे में चिंतक जी क्या करें कि उनका गिव अप एकदम नया नवेला लगे।

इस बीच उपचिंतक ने परामर्श कि हे कृपासागर, आप किसी से कुछ गिफ्ट स्वरूप प्राप्त करें और उसे सहज स्नेह के साथ गिव अप कर दें। जैसे कपड़े, चादर, चॉकलेट, बिस्किट वगैरह।

चिंतक जी सहमत नहीं हुए। बोले–‘अरे पातकी, माँगकर गिव अप करना तो लँगड़े की यात्रा जैसा है। कुछ और सोच और मुझे भी सोचने दे।’

यह सुनकर उपचिंतक के तन और मन से सिट्टी और पिट्टी दोनों प्रकार के तत्त्वों का पूरी तरह लोप हो गया। फिर भी प्रचुर मात्रा में साहस का स्टॉक जमाकर उन्होंने कहा–‘भगवन, मेरा विचार यह है कि आप चिंतन करना गिव अप कर दें। आपको यह आइडिया कैसा लगा?’

आदरणीय चिंतक जी को यह आइडिया पसंद नहीं आया। पुअर प्राणी, इसे नहीं पता कि चिंतन ही तो मेरा एकमात्र कार्यक्रम है। फिर भला उसे ही गिव अप क्यों कर दिया जाए? कभी नहीं।

जैसे बैल पर बैठकर कोई बैल की खोज करे। जैसे जूही-चमेली को छोड़कर कोई भौंरा धतूरे के फूल की ओर भागे। वैसे ही चिंतक जी के ज्ञान की महाबैटरी को चार्ज होते देर नहीं लगी। चार्जित होते ही उन्होंने कविता को गिव अप करने की योजना बना ली। इस अभागे देश के भाग्य में उनकी लोकमंगलकारी कविताएँ नहीं हैं, तो ना सही। कविता को सधन्यवाद गिव अप कर दिया जाए, यही बेहतर होगा। सो, कविता को गिव अप करने के ग्लोबल संकल्प के साथ अपने आसन से वे उठे। भुजा उठाकर प्रतिज्ञा की और फिर समूचे राष्ट्र को मन की बात सुनाने के लिए नुक्कड़ वाली चाय की दुकान पर चले गए। उपचिंतक पीछे लटक रहे थे हमेशा की तरह।


Image :Cat and Bird
Image Source : WikiArt
Artist :Paul Klee
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