पं. गोविंद बल्लभ पंत, नैनीताल!

पं. गोविंद बल्लभ पंत, नैनीताल!

पं. गोविंद बल्लभ पंत का नाम गूँज रहा है राजनीति के क्षेत्र में और साहित्य के क्षेत्र में भी! उत्तर प्रदेश के प्रधानमंत्री और ‘वरमाला’ तथा अनेक प्रसिद्ध नाटकों तथा उपन्यास के लेखक!

दोनों ही क्षेत्र में एक नाम–पं. गोविंद बल्लभ पंत, नैनीताल–अपनी प्रसिद्धि की चोटी पर है। परंतु यह जानकर आश्चर्य हुआ कि हिंदी साहित्य के बहुत से प्रेमी, शायद साहित्यिक भी, इस नाम को लेकर अँधेरे में भटक रहे हैं। यह सच बात है कि नाम तो एक है परंतु दोनों स्वरूपों में जमीन-आसमान का भेद है। साहित्यिक गोविंद बल्लभ पंत जितने ही दुबले-पतले हैं राजनीतिक गोविंद बल्लभ पंत उतने ही ऊँचे-मोटे हैं। साहित्यिक गोविंद बल्लभ पंत नैनीताल में एक बहुत टूटे-फूटे, छोटे से अँधेरे मकान में बैठकर साहित्य रचना करते हैं और राजनीतिक गोविंद बल्लभ पंत लखनऊ में सरकारी सचिवालय में सबसे बड़े कमरे में बैठकर शासन की बागडोर खींचते और ढीली करते हैं।

राजनीति ने साहित्य को सदा से दबाया है। राजनीतिक पंत के नाम ने साहित्यिक पंत के नाम को अपने में पचा लिया है। पिछले वर्ष मद्रास में ‘वरमाला’ नाटक का अभिनय हुआ। जनता ने बहुत पसंद किया। और दूसरे दिन वहाँ के प्रमुख साप्ताहिक ‘संडे वीकली’ में प्रधान मंत्री पंत जी का चित्र छपा जिसके नीचे लिखा था–“संयुक्त प्रांत के प्रधान मंत्री पं. गोविंद बल्लभ पंत, जिनका लिखा नाटक संस्था में खेला गया।”

यही नहीं, काशी से प्रकाशित एक पाठ्य पुस्तक में भी पं. गोविंद बल्लभ पंत का एक नाटक संग्रहीत है, जिसमें लेखक परिचय के स्थान पर माननीय पंत जी की राष्ट्रीय सेवाओं का वर्णन है। पिछले दिनों नैनीताल में अपने एक साहित्यिक मित्र से चर्चा करते हुए नाटककार व उपन्यासकार पंत जी ने बताया कि उनकी बहुत सी चिट्ठियाँ, अखबार व पुस्तकें प्रधान मंत्री पंत जी के पास लखनऊ पहुँच जाती हैं।

बड़े आदमी का नाम रखने का परिणाम भुगत रहे हैं बेचारे साहित्यिक पंत।

मैं समझता हूँ कि प्रधानमंत्री पंत जी को इस गड़बड़ी का पता अवश्य होगा। परंतु अभी तक प्रधानमंत्री पंत जी का कोई इस आशय का वक्तव्य नहीं छपा कि लोग उस गरीब साहित्यिक पंत का यशभार प्रधान मंत्री पद पर न लादें।

लोगों को चाहिए कि ऐसे नाम न रखें कि जीवन भर सफाई न हो सके। राजेंद्र प्रसाद, जवाहर लाल नाम तो शायद अब कोई न रखेगा।


Image: Monument
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Artist: Paul-Klee
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ओंकार नाथ शरद द्वारा भी